( तर्ज - किस देवतानें आज मेरा ० )
तुमबीन कौन है हमें ,
ए नाथ ! आखरी ? ।
पूरी न साथ देयगी
दुनियाकि चाकरी || धृ. ||
संसारके इस चक्र - जालमें
फँसा हूँ में ।
बस , याद तेरे कष्टकी है
आस कर पूरी ॥१ ॥
तुझसा न प्रीय जगतमें ,
दूजा मिले हमें ।
बस , दे दिदार आयके ,
यह अर्ज है भरी ॥२ ॥
कोई न मेरे पास है
कि मेरी अर्ज दे ! ।
दरबार में में पेश हूँ ,
सुनवा होजा मेरी || ३ ||
तुकड्या कहे , कहो न कहो ,
यहही है लगन ।
भये है मगन नाममें ,
न प्यास दूसरी ॥४ ॥
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